छोटे प्रयास बड़े बदलाव।



कई बार हम किसी कार्य की भव्यता और जटिलता देख कर ही उस कार्य से किनारा कर लेते हैं। हमें लगता है कि यह कार्य इतना बड़ा है कि हमारे कुछ न करने से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़गा। इस संदर्भ में रमायण में विचरित एक प्रसंग छोटे प्रयासों का महत्व समझाता हैं। लंका पर विजय प्राप्ति हेतु श्री राम ने वानरों को समुद्र पर बांध बनाने का आदेश दिया। सारे वानर बड़ी बड़ी शिलाओं को उठा कर। विशाल वृक्षों को काटकर और बहुत सारी बालु लेकर बांध का निर्माण कर रहे थे।
इतने बड़े समुद्र पर बांध बनाना बहुत ही बड़ा और जटिल कार्य था।वही एक छोटी सी गिलहरी बार बार किनारे पर जाकर अपने पूरे शरीर पर बालु लगाकर फिर बांध पर आकर अपनी सारी बालु झड़ा देती थी।उसे ऐसा करता देख सारे वानर उसका उपहास करने लगें। उन्होंने कहा की इतनी विशाल संरचना में तुम्हारा प्रयास काफी छोटा है। पंरतु श्री राम ने न सिर्फ नन्ही गिलहरी के प्रयास को सराहा एवं उसे प्रोत्साहित भी किया। उन्होंने वानरों को समझाते हुए कहा कि कोई भी प्रयास छोटा नहीं होता । यह नन्हा जीव अपने पूरे सामर्थ्य से अपना कार्य कर रही हैं। इसके द्वारा किए गए विनम्र प्रयास की हमें प्रशंसा करनी चाहिए।
हमें भी किसी भी बड़े कार्यो में छोटे प्रयास करते रहना चाहिए और श्री राम की तरह एक कुशल मार्गदर्शक और नेता के भांति अपने अधिनस्थों द्वारा किए गए छोटे छोटे  प्रयासों की सरहाना और  प्रोत्साहित करना चाहिए। यह छोटे गिलहरी प्रयास एक दिन बड़ा बदलाव लाते हैं।

यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।
जितेंद्र पटेल।



Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

नव संचित नव निर्मित भारत

चंदा मामा पास के

आर्य सत्य