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योगेश्वर कृष्ण।

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कृष्ण के बारे में लिखने की क्षमता मेरी अल्प बुद्धि में नहीं है न ही मेरी लेखनी में वह सामर्थ्य है जो कृष्ण के गुणों को ‌आपके समक्ष प्रस्तुत कर सके फिर भी इस लेख ‌के ‌माध्यम से ‌मैं आपको कृष्ण के चरित्र लीलाओं और नेतृत्व गुणों को साझा करना चाहूंगा जो उन्हें योगेश्वर बनाती हैं। कृष्ण पूर्णावतार है वह एक प्रेमी, ग्वाले, रासरचैया, बंसीबजाया और‌ माखनचोर है जो ‌ गोकुल की गलियों में लीलाएं करते है। वही एक ओर वह एक निर्माता, दार्शनिक, कुशल राजनेता, योद्धा, नायक और सारथी हैं। कृष्णावतार सामाजिक और दैवीय मान्यताओं को चुनौती देता है वह सामाज में व्याप्त गोरे रंग के लगाव से उलट श्याम वर्ण है वह राजा नहीं है अपितु  ग्वाले या सारथी हैं। वह राधा के प्रेमी है पर पति नहीं उन्हें जन्म देने वाली और पालने वाली माँ भिन्न है। जहाँ राम मर्यादापुरुषोत्तम है वहीं कृष्ण लीलाधर है राम ने सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं का हमेशा आदर किया और हर कीमत पर उनका निर्वाह किया वहीँ कृष्ण ने उन्हें परिस्थिति अनुरूप बदला। शास्त्र भी रामावतार को अनुस्थान प्रधान मानते है वहीं कृष्णावतार को अनुभव प्रधान मानते है। राम ने आचरण से