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Showing posts from May, 2020

पतंग और डोर

शिव खेड़ा जी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "जीत आपकी" की शुरुआत पिता पुत्र की कहानी से करतें है जिसमें पुत्र द्वारा कहने पर पिता आसमान में उंची ऊड़ रही पतंग की डोर काट देते हैं जिससे पतंग नीचे गिर जाती हैं। पुत्र को ऐसा लगता है कि डोर पतंग को आसमां में और ऊपर उड़ने नहीं दे रहीं हैं। हमारे जीवन में भी अनुशासन, बड़ों द्वारा दिए गए निर्देश, हमारे मुल्य एवं सिद्धांत उसी डोर का काम करतें हैं।  कई बार हमें लगता हैं कि यह सारी चीजें हमें अपने काम में रुक रहीं हैं और अगर यह ना हो तो हम काफी आगे जा सकते हैं। परंतु जब हम दीर्घकालिक नतीजों को देखते हैं तब हम पाते हैं कि अनुशासन की इसी डोर से हम सफलता अर्जित कर पाएं। हमारे मूल्य एवं सिध्दांतो ने हमें नैतिक और पथभ्रष्ट होने से बचाया हैं। जब भी दूरगामी नतीजों की बात होती हैं तब हमें पाते हैं अनुशासन ने ही सफल बनाया जल्दी मिली सफलता ज्यादा लंबी नहीं चलती हैं। अनुशासित और सिध्दांतिक  जीवन ही सफलता की कुंजी है।  जितेन्द्र पटैल। 

आंतरिक चेतना

भारतीय वैदिक पंरपरा में मनुष्य को शुद्ध चतेना माना गया हैं। और हमारा परम उद्देश्य उसी चेतना को समझना और जग्रित करना हैं। बाहरी सफलता हमेशा आंंतरिक उत्कृष्टता के बाद ही आएगीं। जब हम आंंतरिक रूप से संतुलित हो जाते हैं तब हम हमारे बाहरी जीवन को भी संतुलित कर लेते हैं।  यह बात सही है कि हम हमारे साथ होने वाली कई घटनाओं को रोक नहीं सकते है पर हम उनपर अपनी प्रतिक्रिया को जरूर रोक सकते हैं। यही एक बड़ा अंतर है जीवन में कुछ करने और उसे होने देने में।  हमारे पास अपने जीवन को महान बनाने के कई रास्ते हैं।   हम अपनी आंंतरिक चेतना को समझ कर जीवन को शांति से जी सकते है और हर परिस्थिति पर सही प्रतिक्रिया दे कर जीवन को महान बना सकते हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा बाहरी जीवन कभी भी अंतरिक चेतना से बडा़ और महान नहीं हो सकता।  यह लेख श्री  रॉबिन शर्मा द्वारा लिखी गई पुस्तक डेली इंस्पिरेशन ( Daily Inspiration) के एक अंश से प्रेरित हैं। जितेन्द्र पटैल।

समस्या

एक बार एक व्यक्ति की ऊटों के अस्तबल में ऊटों की देखभाल की नौकरी लगती हैं। उसका मालिक उसे निर्देश देता हैं कि रात को जब तक सारे ऊंट न बैठ जाए तब तक उसे आराम नहीं करना हैं। अपने मालिक की बात ध्यान में रखते हुए वह जब अस्तबल में पहुंचता है तो ऊटों को बैठाने का प्रयास करता है कुछ ऊंट जल्द ही बैठ जाते है। कुछ ऊंट खड़े रहते हैं वह एक तरफ के ऊंट बिठाता है तो दुसरी तरफ के ऊंट खड़े हो जातें है। काफी कोशिश के बाद भी कुछ ऊंट नहीं बैठते है। परेशान होकर वह व्यक्ति एक कोने में बैठ कर ऊंटो को देखने लगता है। वह यह पाता है कि कुछ समय बाद ऊंट स्वतः ही बैठ गए है। उसके बाद वह भी आराम करनें चला जाता है।  अगर हम गौर करें तो हमारे जीवन में समस्याएं भी इसी तरह की होती हैं कुछ समस्याओं को हम तुरंत हल कर सकते है। कुछ समस्याएं थोड़ी मेहनत और प्रयासों से हल होती है और कुछ कितनी भी कोशिश के बाद भी हल नहीं होती हैंं। पर आगे चलकर स्वयं ही हल हो जाती हैं। हमें अपनी परेशानियों को लेकर गंभीर और सजग रहना चाहिए ना की चंतित। जिन समास्याओं का हल अपने हाथ में है उन्हें तभी हल कर लेना चाहिए और बढा़ना नहीं चाहिए और जो समस्या

घर की रौनक बच्चे

अक्सर हमारे माँ बाप हमें यह कहते हैं कि जब तुम पिता बनोगे तब ही तुम्हें हमारी भावना समझ में आएगीं। यह बात शत प्रतिशत सत्य हैं हमें पितृत्व का अहसास माता पिता बनकर ही होता हैं। साथ ही यह बात भी बिल्कुल सच हैं कि घर में बच्चे होने से घर में रौनक लग जाती है और हम भी अपने बच्चों के साथ बच्चे बन जाते हैं। बच्चों की शरारत उनकी मस्ती हमें खुश करतीं हैं। उनकी जिज्ञासु प्रवृत्ति और कभी ना खत्म होने वाले प्रश्न हमें अगले प्रश्न के लिए सतर्क करतें हैं। उनकी मासूमियत और जिद्द हमारा मन मोह लेतीं हैं। कई बार उनकी समझदारी भारी बातें हमें अश्चर्य में डाल देती हैं।  उनको हर चीज में प्रथम ( first) ही आना होता हैं फिर चाहे वार्नविटा ( Bournvita) पीने में या फिर किसी भी खेल में अगर वह अकेले भी खेले तो भी। सीधी बातें उन्हें समझ नहीं आती है और उसी बात को घुमाकर कहने पर वह उसे झठ से समझ जाते हैं और कई बार गंभीर बातों को भी समझ जाते हैं। शक्तिमान,राम, कृष्ण , एवेनजर , मोगली, सुपरमैन और बेटमैन के बीच बच्चों की अपनी ही दुनिया हैं और अगर आप उस दुनिया का हिस्सा हो तो आपको अपने आप को सौभाग्यशाली मानना चाहिए।