सुनने की क्षमता
संचार कौशल का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पंरतु उपेक्षित एवं अनदेखा तत्व है सुनने की क्षमता।क्योंकि प्रायः हम संवाद कौशल को हमारी बोलने की कला से जोड़ कर देखते हैं। आज के तकनीकी युग में हमारे पास अपने आप को व्यक्त करने के कई साधन उपलब्ध हैं। परंतु श्रौताओं की ध्यान अवधि में काफी कमी आई हैं और विशेष वस्तु को आकर्षक और रोचक बनाना बहुत बड़ी चुनौती है। दो तरफा संचार को प्रभावी बनाने के लिए बोलने के अलावा सुनने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसा कि श्री दलाईलामा कहते है When you talk, you are only repeating what you already know. But if you listen, you may learn something new.”Dalai Lamba. अर्थात जब आप बोलते हैं तब आप वहीं बोलते जो आप जानते हैं। पंरतु जब आप सुनते हैं तो कुछ नया जानते है। जितेन्द्र पटैल।