खाना खजाना

फ्रांसिसी में कहा जाता हैं कि " La bonne cuisine est le du vrai bonheur"अच्छा खाना असली खुशी की बुनियाद हैं। 

आज लॉक डाउन  (lockdown) के समय में बहुत से लोग अपने शौक को पूरा कर रहे हैं।   इनमें से एक शौक जिसमें लोग अपना हुनर आजमा रहे है वह है खाना बनाना या पाक कला। युट्यूब (YouTube) पर काफी लोग तरह तरह के पकवान बनाने का तरीका देख रहें या तो खुद भी  खाना बनाने के विडिओ डाल रहे है । खाना बनाना  न सिर्फ रचनात्मक है बल्कि एक आनंद दायक काम भी हैं।  स्वादिष्ट भोजन न सिर्फ  जबान को भाता है बल्कि शरीर और मन को भी संतुष्ट और खुश करता हैं। 

जब हम भारतीय खाने की बात करते हैं तो हमें बहुत ही विविधताएं देखने को मिलती हैं। यह अंतर जलवायु फसलों और जीवन शैली के कारण भी है। पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय खाना  विविधता में एकता का नायाब उदाहरण है। हम भले चाहे भाषा, क्षेत्र और  वतावरण से भिन्न है पर हमारा खाना हमें एक गहरे जोड़े हुए है। 

पर आपको जानकर आश्चर्य होगा आज जो खाना हमारी संस्कृति और दिनचर्या में रच बस गया हैं उसमें से कई व्यजंन,सब्जी और मसाले मूल रूप से भारतीय नहीं हैं।  चाय जिसका लुत्फ हर भारतवासी सुबह उठाता है वह यहां चीन से आई हैं और अंग्रेजों द्वारा  प्रसिद्ध की गई। कॉफी के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी हैं। कहा जाता है कि कॉफी के साथ बीज एक सुफी संत अपने साथ लाए थें आज भारत में जितनी कॉफी होती हैं वह उन साथ बीजों के वजह से हैं।  लाल मिर्च जैसे हर भारतीय भोजन में डाला जाता है वह यहां सौलहवीं सदी मे पुर्तगाली लेकर आए थे। पंद्रहवी सदी में लिखी आइन-ए-अकबरी  में भी काली मिर्च का उपयोग बताया गया हैं। आलु जो की आज लगभग हर सब्जी और घर का एक जरूरी हिस्सा बन गया है उसे भी करीब तीन सौ साल पहले युरोपी भारत लाए थे। गुलाब जामुन जो भारत का एक प्रिये मीटा हैं वह एक फारसी (Persian) व्यजंन लुकमत अल कदी (Luqmat Al-Qadi) से प्रेरित है और अरब उसे यहां लाए थे। जलेबी भी पश्चिम एशिया से भारत आई और यह भी एक फारसी व्यजंन है।  होली पर बनने वाली गुजिया भी समोसे से प्रेरित है समोसे जो भारत का प्रमुख नाशता है अरब से आया है। जो मूलरूप से सम्बोसक, सम्बूसा  कहलाता था और गोश्त से  भारा जाता था। गुजिया उसी का मीठा रुप है और युरोपीय व्यंजन  एमपन्डा का हुबहु है। हर चठनी का  स्वाद बढा़ने वाली ईमली भारत की मूल पैदाइश है और जब अरबों ने उसे चखा तो उसे तमर ऊल हिंद (Tamir ul Hind) का नाम दिया मतलब  हिंद का खजुर (Indian Dates) कहा और अंग्रेजों ने इसे टेमारिंड (Tamarind) कहा।  यह कुछ व्यंजन और भोजन है जो भारत में बाहर से आए  पर आज भारतीयों का प्रमुख भोजन हैं। 

भोजन अपने जीवन का प्रमुख हिस्सा है बाहर से आया खाना जिस चाव के साथ भारत में खाया और परोसा जाता है वह हमारी संस्कृति की समग्रता प्रदर्शित करता हैं। हमनें बाहर से व्यपारियो से न सिर्फ व्यपार किया अपितु उनकी संस्कृति और भोजन को अपनाया उनमें से कई  तो भारत में स्थायी रुप से बस भी गए। हमारी संस्कृति में  भोजन को ईश्वर तुल्य माना गया है और हमें हमारे भोजन और उन्हें बनाने वाले लोगों का यथा सम्मान करना चाहिए। 

यह लेख एपिक (Epic)  चैनल पर प्रसारित नाठक राजा रसोई और अन्य कहानियां से प्रेरित और आधारित हैं।

जितेन्द्र पटैल। 

Comments

  1. Bahut achi tarah se likha hai👍

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    1. Thanks for the suggestion buddy . I try to keep my blog short and original. Will try to add some images as suggested.

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  3. good luck or asha likho foods ke baare mein

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद मेडम विविध विषयों पर छोटे प्रमाणिक एवं अच्छे लेखों को लिखने का प्रयास करता हूँ।

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  5. Replies
    1. Thanks for your kind word of appreciation.🙏🙏🙏

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