आदेश एवं अनुरोध

मेरा ऐसा मानना है कि जहाँ अनुरोध से काम चल जाए वहां आदेश की आवश्यकता नहीं होती है। आमतौर पर देखा गया है कि हम अपने अधिनस्थों , विधार्थीओं और अपने नीचे काम करने वालों के प्रति अपना रवैया आदेशात्मक होता है। हमारे शिक्षित होने का सबसे बड़ा सबुत हमारे व्यवहार में झलकता है। विशेषताः हम उन लोगों से कैसे बात करते हैं जिनसे हमें कोई काम नहीं हो या जो हमें कोई फायदा या नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। धन्यवाद कहने का मौका मत छोड़िए।आदेशात्मक निर्देशों को प्रश्नात्मक निर्देशों में बदलिए। इस तरह आप अपने अधिनस्थों एवं विधार्थियों को निर्णय प्रकिर्या में सम्मिलित करेंगे और वह कार्य के प्रति ज्यादा जबाबदार बनेंगे। छोटो  का सम्मान और अनुरोध से वह काम भी हो जाते है जो आदेश नहीं कर सकते हैं। 
जितेन्द्र पटैल।

Comments

  1. बदलाव की ओर एक सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

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  2. Really True... Everyone should follow this to deal with people effectively....

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  3. Really True... Everyone should follow this to deal with people effectively....

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