आदेश एवं अनुरोध
मेरा ऐसा मानना है कि जहाँ अनुरोध से काम चल जाए वहां आदेश की आवश्यकता नहीं होती है। आमतौर पर देखा गया है कि हम अपने अधिनस्थों , विधार्थीओं और अपने नीचे काम करने वालों के प्रति अपना रवैया आदेशात्मक होता है। हमारे शिक्षित होने का सबसे बड़ा सबुत हमारे व्यवहार में झलकता है। विशेषताः हम उन लोगों से कैसे बात करते हैं जिनसे हमें कोई काम नहीं हो या जो हमें कोई फायदा या नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। धन्यवाद कहने का मौका मत छोड़िए।आदेशात्मक निर्देशों को प्रश्नात्मक निर्देशों में बदलिए। इस तरह आप अपने अधिनस्थों एवं विधार्थियों को निर्णय प्रकिर्या में सम्मिलित करेंगे और वह कार्य के प्रति ज्यादा जबाबदार बनेंगे। छोटो का सम्मान और अनुरोध से वह काम भी हो जाते है जो आदेश नहीं कर सकते हैं।
जितेन्द्र पटैल।
👌👌
ReplyDeleteThanks a lot 🙏🙏🙏
DeleteWell said
ReplyDeleteThanks a lot 🙏🙏🙏
DeleteBeautiful
ReplyDeleteThanks a lot 🙏🙏🙏
DeleteGood one👌👌👌
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteNice one👏
ReplyDeleteThanks a lot Harshita
Delete🙏🙏🙏
Good one! Keep sharing.
ReplyDeleteThanks a lot for your kind words.
DeleteNice blog
ReplyDeleteNice blog <3
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteNice one
ReplyDeleteबदलाव की ओर एक सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏
DeleteWell wrote Sir!!
ReplyDeleteThanks Aditya
DeleteReally True... Everyone should follow this to deal with people effectively....
ReplyDeleteThanks a lot Hetal
DeleteReally True... Everyone should follow this to deal with people effectively....
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