ज्ञान और कौशल
हमारा ज्ञान और कौशल उस लकड़ी के पट्टे की तरह हैं।
जो हमें बोझ की तरह लगता हैं। परंतु आगे आने वाली खाईं को पार करने में बांध की तरह काम करता हैं। और यह पट्टा जितना बड़ा होगा हम उतनी बड़ी खाईं को पार कर सकते हैं। अर्थात जिस ज्ञान और कौशल के अर्जन को हम अपने समय की बर्बादी मानते हैं। वह सही समय आने पर हमारी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। जिस प्रकार कम ईंधन की गाड़ी मंजिल आने से पहले ही रूक जाती हैं। उसी तरह कौशल विकास और व्यक्तिगत विकास पर ध्यान न देना पर हम सफल होने से पहले ही रुक जातें हैं। सफल संस्थान और अच्छे प्रबंधक अपने कर्मचारियों और अधिनस्थों के व्यक्तिगत विकास पर निवेश करतीं हैं। और प्रायः देखा गया है कि ऐसे संस्था में कर्मचारी ज्यादा समय तक काम करते हैं। संस्था और प्रबंधक को यह ज्ञात होना चाहिए कि कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास में ही संस्था का विकास हैं।
यह लेख राबिन शर्मा की पुस्तक डेली इंसपिरेशन में प्रकाशित अंश से प्रेरित हैं।
जितेन्द्र पटैल
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