चंदा मामा पास के
इसरो ने चन्द्रयान३ के सफल परिप्रेक्ष्ण के साथ भारत को चांद पर पहुंचा दिया। इस उपलब्धि के साथ ही भारत विश्व का चौथा ऐसा देश बन गया है जो चांद पर पहुंचा और विश्व का पहला देश जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फतह पाई। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
भारत की यह उपलब्धि न सिर्फ वैज्ञानिक प्रगति अपितु सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति की भी परिचायक है और भारतीय संस्कृति के दोनों महत्वपूर्ण स्तंभों विज्ञान और अध्यात्म से विश्व को परिचित कराती है। भारतीय संस्कृति पुरातन काल से ही विज्ञान और आध्यात्मिकता के अंतर्संबंध पर जोर देती है। वसुधैव कुटुम्ब और ब्रह्मांड के साथ एकात्म का भाव रखने वाली हमारी परंपरा आध्यात्मिक श्रद्धा और वैज्ञानिक ज्ञान के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाती है।
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता नवाचार, दृढ़ता, कठोर परिश्रम, निरंतरता और आध्यात्मिक उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। साथ ही यह हमारे समृद्ध इतिहास से प्रेरित और विरासत में निहित आविष्कारशील सोच, मितव्ययी उधमिता, नवाचार और आधुनिकता की शक्ति से दुनिया को समग्र और सतत विकास देने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
चंद्रयान-3 हर भारतीय को चुनौतियों का सामना और अपने पुराने अनुभवों से सीखकर खुद को बेहतर बनाने की प्रेरणा देता है। चंद्रयान-2 के मुकाबले बेहतर तकनीक, नए उपकरणों, उन्नत नेविगेशन प्रणालियों और मजबूत संचार विधियों के साथ चंद्रयान-3 ने भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण को नई ऊंचाइयां प्रदान की है ।
हर भारतीय बचपन से ही चांद को मामा कहकर बुलाता है और उसे चंदा मामा दूर के समझकर उस तक पहुंचने की प्रयास करता था। इसरो के इस सफल मिशन ने चंदा मामा को पास का बनाने के साथ- साथ विश्व पटल पर भारत को एक सुदृढ़, सक्षम और उन्नत देश बना दिया है जहां हर भारतीय और युवा पीढ़ी नए वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नवाचार और आधुनिकता को अपनाकर उज्जवल और आशान्वित भविष्य की ओर अग्रसर है।
इसरो और भारत को चंद्रयान-3 की सफलता पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
डॉ जितेन्द्र पटैल।
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