नई शुरुआत सही शुरुआत
कोई भी नए रिश्ते की शुरुआत करने के पहले पुराने रिश्तों को छोड़ना पड़ता हैं। यह बात न सिर्फ रिश्तों पर हर नई पहल के साथ लागू होती है। पर यह कहने में ज्यादा आसान लगता है और करने में बहुत कठिन। विशेष रूप से रिश्तों से मिल रहे भावनात्मक जुड़ाव और खुशी उन्हें छोड़ना और भी असंभव बनाती हैं। प्राय: हमें रिश्तों की समझ काफी बाद में होती हैं और तब तक उनमें व्याप्त विषाक्तता और नकारात्मकता हमें घेर लेती हैं। याद रखे पूरे जीवन में हमारा सबसे अहम रिश्ता खुद से हैं और उससे अधिक महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। किसी भी विषैले और नकारात्मक व्यक्ति और रिश्तों से दूर होना सबसे बड़ा तोहफा हैं जो आप खुद को दे सकते हैं। बुरी चीजों के हटने से ही अच्छी चीजें जीवन में आएगी। नकारात्मक रिश्तों से बाहर आना आप का अपने लिए लिया सबसे अहम फैसला है। आप कोई सुधारगृह नहीं हो जो लोगों को ठीक करें।
हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम अपनी कमजोरियां किसे उजागर कर रहे है क्योंकि एक विषाक्त व्यक्ति उन्हें हमारे खिलाफ इस्तेमाल करने में जरा भी संकोच नहीं करेगा। विषैले और नकारात्मक व्यक्ति आपकी खुशी में खुश नहीं होगें क्योंकि वह वहां खुद को देखना चाहते है ऐसे व्यक्ति सिर्फ आकर्षण और संत्वना पाने के लिए ही ऐसे बने रहते है। यह लोग अपनी सच्चाई को छुपाकर रखते है और जब कोई उन्हें उस से अवगत करता है तो वह उसी से नाराज हो जाते है।
कई बार हमें लग सकता है कि नकारात्मक व्यक्ति की नियत ठीक हैं और वह हमसे बहुत प्यार करता है परंतु फिर भी हमें उसका साथ छोड़ देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति या संबंध का लक्ष्य हमारे तनाव और परेशानी को कम करना है न कि उसे बढ़ना । उन लोगों से दूर रहें जो आपको नीचा दिखाए और अपनी गलतियों की जिम्मेदारी न लेते हुए आप पर ही दोषारोपण करें। जो व्यक्ति आपके समय और साथ और आपकी भावनाओं की क्रद न करें और आपके अंतरमन को दुखी करें उससे दूरी बना लेना ही उचित है।
एक खूबसूरत संबंध आपके जीवन में खुशियाँ और उत्साह लाता है। वही एक नकारात्मक संबंध आपको बुरा, दोषी, आसुरक्षित,शर्मिंदा,भयभीतऔरआशाहीन बनाता है। एक अच्छा संबंध आपको कभी भी अपने सपने, दोस्तों और गरिमा से समझौता करने को विवश नहीं करेगा।
नकारात्मकता से दूर होने की इस कोशिश में खुद को कमजोर मत समझिए आपका परिवार और आपके शुभचिंतक आपको इस कठिन यात्रा में साथ देगें परंतु नकारात्मक संबंधों से निकलने का पहला निर्णय आपको ही लेना होगा और यह करने पर स्वयं को क्षमाप्रार्थी एवं दोषी न समझे
जितेन्द्र पटैल।
Nice
ReplyDeleteThanks a lot
Deleteनकारात्मकता चाहे सोच में हो,चाहे आस पास जीवन पर बुरा प्रभाव डालती है, बहुत ही सुन्दर ,सरल तरीक़े से उसके असर को बेअसर करना समझा दिया, सुन्दर अति सुन्दर।
ReplyDeleteआपसे मिले उत्साहवर्धन से मन प्रफुल्लित हो गया। जी हाँ नकारात्मकता के काफी कुप्रभाव है और इन्हें कम किया जा सकता हैं। अपने लेखों के माध्यम से लोगों के जीवन में सकारत्मक बदलाव लाने का प्रयास रहता हैं।🙏🙏🙏
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