आस्था का महत्व

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला अपनी प्रसिद्ध कविता प्रियतम में भगवान विष्णु नारद मुनि को आस्था का महत्व समझाते हुए कहते है कि उनका प्रिय भक्त वह किसान है जो कि उनका नाम बस तीन बार लेता हैं परंतु वह ऐसा अपने दैनिक जीवन के साथ करता है। जब भी बात आस्था और भक्ति की होती है तो हमें ऐसा लगता है कि इसके लिए अलग से समय और तैयारी की आवश्यकता होगी पंरतु प्रभु का स्मरण तो दैनिक जीवन में कभी भी किया जा सकता हैं। प्रायः देखा गया है कि हम काम बिगड़ने अथवा विपत्ति आने पर  ही हम भगवान को याद करते हैं। पर अगर हम  आस्था को अपने जीवन का हिस्सा बना ले तो जीवन काफी आसान हो जाएगा। किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के दौरान आने वाले छोटे पड़ाव पर भी ईश्वर का धन्यवाद दें। आस्था इतना जठिल विषय नहीं हैं। वह तो दिन की अच्छी शुरूआत , खुबसूरत दुनिया, अच्छा भोजन और पंछियों के कलरव के प्रति कर्तज्ञता और आभार प्रकट कर के भी किया जा सकता हैं। 

अंत में अपनी बात यह कहकर सामाप्त करूंगा कि मुश्किल की इस घडी़ में आस्था हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देगीं और इस खाली समय का उपयोग हम अपनी आध्यात्मिक आस्था के पुर्नावलोकन के लिए कर सकते हैं।

यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।
जितेन्द्र पटैल

Comments

  1. Nice sir. I agree in what you are saying 😊.

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  2. Thanks for your appreciation. I request you to kindly like share and comment on my blogs. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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  3. It's great way to be in faith and devotion to be grateful and praying any short duration while doing our work or in any situation.

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    1. Thanks Praveen. When prayer become the part of life miracle become daily happening 🙏🙏🙏

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  5. सुबह सुबह पढ़ा ये पोस्ट, अच्छा लगा।

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    1. आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏🙏🙏

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  6. Definitely an interesting article. Regards

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