Posts

रामो विग्रहवान् धर्मः

Image
आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीराम का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव है और यह करोड़ो हिंदुओं की असीम आस्था, श्रद्धा और विश्वास की विजय का भी उत्सव है। वैसे आस्था, श्रद्धा और विश्वास  भारतीय संस्कृति के मूल स्तंभ है । श्री राम भारतीय सभ्यता की प्राण वायु है और हमारी संस्कृति की आत्मा है।  राम मंदिर की गाथा सिर्फ एक मंदिर की कहानी नहीं है अपितु यह आस्था, राजनीतिक साजिश और अपनी आत्मा की खोज में लगे एक राष्ट्र की महागाथा है। भगवान राम का जीवन और उनका संघर्ष हमें हमारे दैनिक जीवन जीने की व्यावहारिक शिक्षा देता है। प्रभु श्रीराम का जीवन यह सिखाता है कि वीरता का गुण देवताओं के लिए आरक्षित नहीं है; परंतु वह हमारे द्वारा किए गए  कार्यों और आचरण के कारण हमें  वीर बनाता है। श्रीराम का आदर्श जीवन हमें साधारण मानव से असाधारण मानव बनने की प्रेरणा देता है। सदाचार और धार्मिकता के प्रतीक भगवान राम और उनकी जीवन यात्रा हमें रोजमर्रा के संघर्षों से संबंधित बहुमूल्य सबक सिखाती है। यह यात्रा अपूर्णता से पूर्णता भरे जीवन की ओर एवं कठिनाई और चुनौतियों पर विजय कर अपने जीवन के शीर्ष लक्ष्य प्राप्त करने

परिवर्तनमेव स्थिरमस्थि

Image
  गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि परिवर्तनमेव स्थिरमस्थि अर्थात परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर प्रकिया है वह बताते हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है। और परिवर्तन की इस प्रक्रिया के साथ ही यह साल भी परिवर्तित हो गया, गुजरता साल अपने साथ बहुत से बदलाव, नई सीख, शिक्षा और सुखद अनुभव दे कर गया और आने वाले साल के लिए हमें आशान्वित, और प्रफुल्लित कर कर गया है।  नया साल के साथ ही हम सब कोई न कोई संकल्प या रेजोलंशन (Resolution) लेते हैं और पूरी इच्छा शक्ति से उसे पूरा करने का प्रयास करते है। परंतु हम में से बहुत कम लोग ही उसे पूरा कर पाते हैं और उसे अपनी आदत का हिस्सा बना पाते हैं। और जब हम ऐसा नहीं कर पाते तो हम हमारे आसपास की परिस्थितियों को दोषी करार देते है। अगर हम हमारे शास्त्रों से समझे तो वह तत्परिवर्तन भव: की भावना पर जोर देते है यानि कि बदलाव हमें से ही शुरू होता है या जो बदलाव चाहते हो वह खुद में लाओ। यह बात हमारे नव वर्ष के संकल्पों पर बहुत सटीक बैठती है क्योंकि नववर्ष से जोड़े बहुत से संकल्प हमारी जीवनशैली के परिवर्तन की बात करते हैं।  हालाँकि यह डराने वाला और कठिन लग सकता है क्योंकि

दिवाली: रोशनी और नई शुरुआत का त्योहार

Image
 दिवाली, जिसे रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, भारत में सबसे अधिक मनाए जाने वाले और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त त्योहारों में से एक है। यह आनंद, एकजुटता और चिंतन का समय है, जिसमें एक समृद्ध आध्यात्मिक इतिहास है जो उत्सव का आधार बनता है। लेकिन दिवाली सिर्फ एक धार्मिक उत्सव से कहीं अधिक है; यह भारत के आर्थिक परिदृश्य में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो आर्थिक समावेशन और समृद्धि के मूल्यों का उदाहरण है।  दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं है; यह मूल्यों, आध्यात्मिकता और आर्थिक समावेशन का उत्सव है। यह लोगों को एक साथ लाता है, हमारे जीवन में प्रकाश के महत्व को सुदृढ़ करता है, और एक विविध और जीवंत राष्ट्र की समृद्धि को प्रदर्शित करता है। जैसे ही रोशनी घरों और सड़कों पर जगमगाती है, वे उज्जवल भविष्य की आशा और बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक हैं। दिवाली का प्रत्येक दिन एक अनूठी आध्यात्मिक कथा लेकर आता है, जो दिव्य विजय, कृतज्ञता और एक सदाचारी जीवन की खोज की कहानियों को एक साथ जोड़ती है। जैसे ही परिवार इन दिनों को मनाने के लिए एक साथ आते हैं, वे न केवल सांस्कृतिक परंपराओं में भाग

चंदा मामा पास के

Image
  इसरो ने चन्द्रयान३ के सफल परिप्रेक्ष्ण के साथ भारत को चांद पर पहुंचा दिया। इस उपलब्धि के साथ ही भारत विश्व का चौथा ऐसा देश बन गया है जो चांद पर पहुंचा और विश्व का पहला देश  जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फतह पाई। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। भारत की यह उपलब्धि न सिर्फ वैज्ञानिक प्रगति अपितु सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति की भी परिचायक है और भारतीय संस्कृति के दोनों महत्वपूर्ण स्तंभों विज्ञान और अध्यात्म से विश्व को परिचित कराती है। भारतीय संस्कृति पुरातन काल से ही विज्ञान और आध्यात्मिकता के अंतर्संबंध पर जोर देती है। वसुधैव कुटुम्ब और ब्रह्मांड के साथ एकात्म का भाव रखने वाली हमारी परंपरा आध्यात्मिक श्रद्धा और वैज्ञानिक ज्ञान के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाती है। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता नवाचार, दृढ़ता, कठोर परिश्रम, निरंतरता और आध्यात्मिक उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। साथ ही यह हमारे समृद्ध इतिहास से प्रेरित और विरासत में निहित आविष्कारशील सोच, मितव्ययी उधमिता, नवाचार और आधुनिकता की शक्ति से दुनिया को समग्र और सतत विकास देने की भारत की क्षमता

नव संचित नव निर्मित भारत

Image
आज भारत अपना सतहत्तरवा स्वतंत्रता दिवस बना रहा है। और हर भारतीय के पास खुश, आशावान और उत्साहित होने की काफी सारी वजह है। आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है और २०३० तक भारत के पास सबसे ज्यादा श्रमजीवी जनसंख्‍या ( वर्किंग पॉपुलेशन) होगी।भारत उधमिता का नया गढ़ बन कर उभरा है। २०१४ में सिर्फ साढ़े तीन सौ नए उद्यमों (स्टार्ट अप) की संख्या बढ़ कर २०२३ में नब्बे हजार हो गई है । जिसमें सौ से अधिक यूनिकॉर्न है। यानि यह सारी कंपनियों की कुल कीमत एक बिलियन या इससे अधिक है। आज की युवा पीढ़ी व्यापार उधमिता और नवाचार को सकारात्मकता से देख रही है और सारे नए उद्यमों को सम्मान दे रहा है। भारतीय नवाचार और मितव्ययी उद्यमिता( फ्रूगल इनोवेशन) के माध्यम से वैश्विक नवाचार परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग और जटिल समास्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजकर भारतीय न केवल अपनी चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं बल्कि मानवता की भलाई में भी योगदान दे रहे हैं। आज जब दुनिया जटिल मुद्दों से जूझ रही है, तब भारतीय अपनी मितव्ययी नवाचार, रचनात्मकता और सहयोग द्वारा विश्व में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक

आर्य सत्य

Image
 आज के लेख में बुद्ध द्वारा प्राप्त प्रमुख की शिक्षाओं की बात करते हैं । 49 दिनों के ध्यान के बाद उन्हें ज्ञान हुआ। वह सारनाथ में पहले पांच छात्रों के पास गए।  जहां उन्होंने अपना पहला व्याख्यान दिया था । पाँचों शिष्यों ने बुद्ध के शब्दों को ध्यान से सुना। उनका यह ज्ञान चार आर्य सत्य के रूप में प्रचारित हुए। दुख, या "दुक्ख," भगवान बुद्ध द्वारा पहचाना गया पहला महान सत्य था। दुनिया में हर जगह दुख मौजूद है। दुनिया में दुख के अस्तित्व को पहचानो। यह शुरू करने के लिए एक भयानक जगह की तरह लग सकता है, लेकिन भगवान बुद्ध ने देखा कि मृत्यु के कारण दुख हो सकता है।जन्म, बुढ़ापा, बीमारियाँ, भौतिक वस्तुओं के प्रति आपका लगाव, आप जो चाहते हैं वह नहीं मिलना, या किसी ऐसे व्यक्ति को खोना जिसकी आप परवाह करते हैं। ये आपकी बेचैनी के कारण हो सकते हैं। उनका आशय यह नहीं था कि तुम सब कुछ त्याग कर वैरागी बन जाओगे। वह केवल यह बताकर आपका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। चूंकि आप एक ही वस्तु को देख रहे हैं, वे एक ही हैं। इस प्रकार, "दुक्ख" उनका पहला म

वीणा वादिनि वर दे

Image
 आज के लेख की शुरुआत एक रोचक कहानी से करते हैं। एक बार एक शिकारी कुछ तोतों को अपने साथ लेकर जा रहा था।उसके पास कुछ हरे और एक रंगबिरंगा तोता था। वहां पर से एक साधु गुजर रहा था उसे तोतो को कैद में उन पर दया आ गई। उसने शिकारी से अनुरोध किया की इन पक्षियों को मुक्त कर दे। शिकारी ने विरोध करते हुए कहा कि पक्षियों को पकड़ना और उन्हें बेचना उसकी रोजी रोटी का साधन है और वह इन्हें मुक्त नहीं कर सकता है। अगर साधु चाहे तो उन्हें खरीद सकता है। साधु उससे उनकी कीमत पुछता है और सारे तोतों को खरीद पाने में असमर्थ हो वह एक रंगबिरंगा तोता खरीद लेता है।  वह उस तोते को समझता है कि तुम लोग कितनी सदियों से शिकारी के जाल में फंस रहे हो। आज में तुम्हें ऐसा मंत्र देता हूं जिसे समझ कर कोई भी तोता शिकारी के जाल में नहीं फंसेगा तुम यह मंत्र अपने सारे साथियों को सिखाना और फिर तुम हमेशा मुक्त रह सकते हो।  साधु तोते से कहता है कि इस मंत्र को मेरे पीछे बोलो " शिकारी आएगा जाल बिछाएगा दाना डालेगा हम नहीं फसेंगे " ।  तोता अच्छी तरह इस मंत्र को याद कर लेता है और फिर जंगल जाकर अपने सारे साथियों को भी यह मंत्र