परिवर्तनमेव स्थिरमस्थि


 

गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि परिवर्तनमेव स्थिरमस्थि अर्थात परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर प्रकिया है वह बताते हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है। और परिवर्तन की इस प्रक्रिया के साथ ही यह साल भी परिवर्तित हो गया, गुजरता साल अपने साथ बहुत से बदलाव, नई सीख, शिक्षा और सुखद अनुभव दे कर गया और आने वाले साल के लिए हमें आशान्वित, और प्रफुल्लित कर कर गया है। 

नया साल के साथ ही हम सब कोई न कोई संकल्प या रेजोलंशन (Resolution) लेते हैं और पूरी इच्छा शक्ति से उसे पूरा करने का प्रयास करते है। परंतु हम में से बहुत कम लोग ही उसे पूरा कर पाते हैं और उसे अपनी आदत का हिस्सा बना पाते हैं। और जब हम ऐसा नहीं कर पाते तो हम हमारे आसपास की परिस्थितियों को दोषी करार देते है। अगर हम हमारे शास्त्रों से समझे तो वह तत्परिवर्तन भव: की भावना पर जोर देते है यानि कि बदलाव हमें से ही शुरू होता है या जो बदलाव चाहते हो वह खुद में लाओ। यह बात हमारे नव वर्ष के संकल्पों पर बहुत सटीक बैठती है क्योंकि नववर्ष से जोड़े बहुत से संकल्प हमारी जीवनशैली के परिवर्तन की बात करते हैं। 

हालाँकि यह डराने वाला और कठिन लग सकता है क्योंकि आप अपनी पुरानी आदतों की उन बैसाखियों को छोड़ना शुरू कर देते हैं जिन्होंने आपका मार्गदर्शन किया है, एक नई जीवनशैली अपनाने के लिए आपको  आपनी उन पुरानी आदतों को छोड़ देना होता है परन्तु आपका मस्तिष्क आपको बार बार आपकी पुरानी आदतों और दिनचर्या की याद दिलाता है और नई जीवन शैली अपनाने से रुकता है । ऐसे में अगर आप छोटे लक्ष्य बनाए और उन्हें पूरा करें तो आपको परिवर्तन उबाऊ और कठिन नहीं लगेगा।

 प्रसिद्ध लेखक जेम्स क्लियर अपनी विश्व प्रसिद्ध किताब एटॉमिक हैबिट्स में अपनी आदतों में छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव की बात करते हैं। वह कहते है कि कोई भी नया बदलाव रोज दो मिनट देकर भी शुरू किया जा सकता है। साथ ही हमें हमारे लक्ष्यों की प्राप्ति पर जश्न भी मनाना चाहिए इससे हमारा मन अगले लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उत्साहित होता है। 

जीवन शैली के बदलाव के अलावा हमें अपने व्यवहार में भी परिवर्तन लाना होगा कई बार हम हमारे आसपास की परिस्थिति या माहौल को नहीं बदल सकते है पर उनपर हमारी प्रतिक्रिया को बदल कर हम उसके दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। ऐसा कर हम हमारे जीवन में होने वाले बुरे तनाव से बचेंगे जो आपके जीवन को बर्बाद करने की शक्ति रख सकता है और हम बिना किसी होड़ या मुकाबला तंत्र के बिना सफलता के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। 

जब आप अपने दिमाग में मौजूद अतिरिक्त अव्यवस्था को दूर कर रहे हैं और बेहतर चीजों के लिए जगह बना रहे हैं। अंत में, हम हमारी जीवनशैली में आए बदलाव के प्रति सजग और संकल्पित होकर बिना किसी दिखावे या बोझ के खुद का सबसे प्रामाणिक संस्करण बन सकते है। साल के अंत में हम आत्मावलोकन कर पाएंगे कि छोटे बदलाव हमारी जीवनशैली की एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। आइए इस वर्ष हम अपने जीवन की कमान संभाले और साल के प्रारंभ में लिए गए संकल्पों को पूरा कर अपना  एक अधिक सशक्त संस्करण बन कर उभरे। 

नल वर्ष की शुभकामनाएं।

डॉ जितेन्द्र पटैल।

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