अभिव्यक्ति




जीवन बहुत गंभीरता से जीने के लिए नहीं हैं। हँसना ,मुसकुराना, अच्छा संगीत, नाचना, मस्ती करना और उल्लास के साथ जीकर ही हम खुश रह सकते हैं। पर इन सब बातों के बीच जीवन में अभिव्यक्ति (manifestation) का होना बहुत जरूरी हैं। जब हम जीवन में किसी लक्ष्य को अभिव्यक्त करतें हैं तब हमारा अवचेतन मन (sub conscious mind ) उस लक्ष्य के प्रति सचेत हो जाता हैं और सजगता से अपने लक्ष्य के बारे में आने वाली सारी जानकारी जुटाने लगता हैं।  

यह बात मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूँ। ब्लॉग लिखने की मेरी इच्छा काफी सालों से थी और मैंने खुद को एक ब्लॉगर होने का परिप्रेक्ष्य दिया। उस से संबंधित जानकारी इकट्ठा करने लगा। थोड़ा लिखना भी शुरू किया नतीजे उत्साहजनक नहीं थें पर रूका नहीं और फिर एक व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रम में  एक स्थापित लेखक से मुलाकात हुई और ब्लॉगिंग (blogging) की शुरुआत हुई। अभिव्यक्ति अवचेतन मन को सबल बनाती हैं और फिर एक न एक दिन लक्ष्य जरूर प्राप्त होता हैं। 

अंत में इतना ही कहना चाहता हूँ कि साहस भरे सपने देखें और उन्हें पूरा करने की चाह रखिए । इस लेख का अंत रॉबर्ट फ्रॉस्ट (Robert Forst) की प्रसिद्ध कविता स्टॉपिंग बाय वुड्स ऑन ए स्नोई इवनिंग ( Stopping by Woods on a Snowy Evening )की आखिरी पंक्तियों से करना चाहुँगा। दी वुड्स आर लवली डार्क एंड डीप बट आई हेव प्रोमिसेस टु कीप एंड  माँल्स टु गो बिफोर आइ स्लीप ( woods are lovely, dark and deep, But I have promises to keep, And miles to go before I sleep,  And miles to go before I sleep.) आज एक ब्लॉग से शुरू हुआ यह सफर पचास से अधिक ब्लॉग तक पहुंच गया है, आगे यात्रा बहुत लम्बी है।

लेखक उन सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त करता हैं जिन्होंने इस यात्रा में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में योगदान और प्रोत्साहन दियाI 

जितेन्द्र पटैल। 

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