झिलमिल सी दिवाली


 

दिपावली हमेशासे सुख समृद्धिऔर संपन्नता का त्यौहार रहा है। पांच दिन चलने वालायह त्यौहार आर्थिक विषमताओं को भी दूर करता है समाज के हर वर्ग को धनार्जन करने का मौका देता है।

 

दिवाली सिर्फ हिन्दुओं के लिए शुभ है अपितु सारेधर्म के लोग भी इसे महत्वपूर्ण मानते है। दिवाली केदिन ही सिख धर्म के छटे युवा गुरु श्री हरगोविंद जी को अमृतसर में रिहा किया गया। जैन धर्म के अनुसार दिपावली भगवान  महावीर का निर्वाण दिवस है बौद्ध धर्म के लोगों का मानना है कि दीवाली के दिन ही महाराज अशोक ने शस्त्र त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया था और घोर हिंसा छोड़कर अहिंसक हो गए। भारत के विभिन्न प्रांत में भी दीवाली अलग-अलग कारण से मनाई जाती हैं। उत्तर भारत में दीवाली प्रभु श्रीराम के वनवास से अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में मनाई जाती हैं।दक्षिण भारत में श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध के उपलक्ष्य में और वहीँ पश्चिमी प्रांत में भगवान विष्णुजी द्वारा राजा बलि को पाताल का राज्य देने के उत्सव  के रुप में मनाई जाती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि दीवाली भारत की विभिन्नता को एक सूत्र में पिरोती  है।

दीपावली में मिट्टी के दिये प्रज्वलित करने का भी महत्वहैं दीपो की अवली के कारण ही इसे दीपावली कहा जाता हैं। तमसो मा ज्योतिर्गमय का संदेश देता हुआ यह त्यौहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता हैं। भारतीय शास्त्रों में वर्णित दीपज्योति को समर्पित यह मंत्र शुभं करोति कल्याण मारोग्यं धनसंपदा शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते और दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योति र्जनार्दनः दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥ हम दीपज्योति से शुभता सुख समृद्धि और संपन्नता प्रदान करने की और हमारे विकारो और बुराइयों को हरने की प्रार्थना करतें हैं।

दिपावली आर्थिक समावेशका भी त्यौहार है। दिवाली समाज के हर वर्ग के लिए आर्थिक संपन्नता लेकरआती है फिर चाहे वह बड़े छोटे व्यापारी,नौकरीपेशा, किसान या गाँवो से आने वालेशिल्पकार। दीवाली पर लगने वाले बाजारों से हर एक को फायदा होता है। पद्म पुराण में उल्लेखित महालक्ष्मी अष्टकम के इस मंत्र सिद्धि बुद्धि प्रदे देवी भक्ति मुक्ति प्रदायनी! मंत्र मुर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते!! से हम महालक्ष्मी का अवहनकर सिद्धि बुद्धि धन धन्य की कामना करें।

भारतीय संस्कृति में दान का भी बहुत महत्व है और पुराणों में वर्णित यह मंत्र गौरवं प्राप्यते दानात्, तु वित्तस्य संचयात्। स्थिति: उच्चै: पयोदानां, पयोधीनां अध: स्थिति: अर्थात धन के दान से ही प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, धन के संचय से नहीं। बादलों का स्थान ऊपर है और समुद्र का नीचे॥ हमें दान की महत्ता बताता है दिवाली सिर्फ धन संचय का त्यौहार नहीं अपितु दान का भी त्यौहार है और समाज के अक्षम वर्ग के उत्थान के लिए आर्थिक संपन्न वर्ग को दान करना चाहिए। दिपावली के पूर्व और बाद में कई  लोग नई पुरानी वस्तुओं का दान करतें हैं बड़े उद्योगपति और कई सामाजिक  संस्थान भी दीवाली पर दान की इस परम्परा को कायम रखें हुए है।

पिछले साल कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते बाजार बंद रहे और दिवाली बेरौनक रही। लॉकडाउन से पिछले करीब दो सालों से छोटे और स्थानीय व्यापारिओं को बुरी तरह प्रभावित हुए और उन्हें काफी घाटा हुआ। इस दीवाली जब बाजार की रौनक लौट रही है तब हमें छोटे और स्थानीय व्यपारिओं को पूरा  सहयोग करें दीवाली की सारी खरीदारी स्थानीय और अपने पास की दुकानो से करे। दिये और साज-सज्जा का सामान गाँवो से आने वाले शिल्पकारों और कुम्हारो सेही खरीदें। विदेशी सामानों का बहिष्कार करें स्वदेशी निर्मित वस्तुओं को अपना कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढा़वा दें।

 

लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु अर्थात संसार के सभी लोग सुखी रहे के दर्शन को मानने वाली भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े उत्सव दीवाली पर ईश्वर से यहीं प्रार्थना है कि शीघ्र ही स्थिति सामान्य हो और यह त्यौहार सभी के लिए सुख समृद्धि स्वास्थ्य और संपन्नता लेकर आए।

दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।

जितेन्द्र पटैल।

Comments

  1. Happy Diwali. Keep spreading the light of knowledge.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Dear Amit JiThanks for your worthy comment and wish you a very happy Diwali. 🙏🙏🙏

      Delete
  2. बढ़िया जितेंद्र

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

आर्य सत्य

नव संचित नव निर्मित भारत

चंदा मामा पास के