शक्ति और सामर्थ्य
आज के लेख की शुरुआत भगवान बुद्ध की एक कहानी से करते हैं। महात्मा बुद्ध की शिक्षा तथ्यवादी सत्य को प्रमाणित करती हैं और प्रासंगिक है बुद्ध आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ व्यवहारिक ज्ञान पर भी जोर देतें हैं। हम सौभाग्यशाली है कि बुद्ध का ज्ञान हमें प्राप्त हुआ।
बचपन में हम सभी ने डाकू अंगुलिमाल की कहानी सुनी है। डाकू अंगुलिमाल लोगों को लूटकर और उनको जान से मारकर उनकी ऊंगली की माला बनाकर पहन लेता था, जिससे उसका नाम अंगुलिमाल हो गया। भगवान बुद्ध से मुलाकात होने पर उनके तेज से प्रभावित हो गया। भगवान बुद्ध ने उससे एक पेड़ से दस पत्तों को तोड़कर लाने को कहा I बाद में उन्हें जोड़ने को कहा जिसे करने में वह असमर्थ हो जाता हैं। तब तथागत उसे कहते हैं कि तुम यह हिंसा कब रुकोगे और वह इससे सीख लेकर संत बन जाता हैं।
अगर हम देखे तो यह कहानी हमें शक्ति और सामर्थ्य के उचित उपयोग की शिक्षा देतीं हैं। जब भी हमारे पास शक्ति और सामर्थ्य आता हैI तब हम जोड़ने की बाजाए तोड़ने पर विश्वास करते हैं। फिर चाहे वह रिश्ते हो या अपने अधीनस्थों पर अत्याचार या फिर अपनी शक्ति का दुरुपयोग।जरा सी शक्ति और सामर्थ्य आने पर हम गर्व से भर जाते हैं और किसी को कुछ नहीं समझते। हमें यह समझना चाहिए कि शक्ति का प्रयोग सकारात्मक कार्यों में करना चाहिए और लोगों के भले के लिए करना चाहिए ।साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमें कहां रूकना है ताकि हमारा घमंड हमें न ले डूबें क्योंकि हमेशा हमसे सामर्थ्यवान और शक्तिशाली व्यक्ति हमारे गर्व को तोड़ सकता हैं।शक्ति विनम्रता के साथ ही शोभा देतीं हैं।
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हम भगवान बुद्ध की महान शिक्षाओं को याद करते हैं और एक विन्रम और दयालु व्यक्तित्व का निर्माण करतें है जो न की खुद को बल्कि पूरे समाज को खुशहाल बनाये
गुरु पूर्णिंमा की हार्दिक शुभकामनाये.
डॉ जितेन्द्र पटैल।
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