हरि नाम की महिमा

आज के लेख में कुछ पौराणिक कथाओं के माध्यम से हरि नाम की महिमा का महत्व समझते हैं। हम सभी ने गजेन्द्र मोक्ष की कथा सुनी होगी और आपको यह  भी पता होगा कि किस तरह एक गज या हाथी के बुलाने पर नारायण आकर उसे मगरमच्छ के जबड़े से बचा लेते हैं। 


दुसरी कथा गणिका नाम की वेश्या की है जिसने सारी उम्र वेश्यावृत्ति करी और अपने अंत समय में हरि का नाम लेकर मुक्ति पाई। तीसरी कथा अजामिल नाम के एक  पापी और धुर्त व्यक्ति की है जिसने सारी उम्र हरि नाम नहीं लिया परंतु कुछ साधुओं की बात मान कर अपने बेटे का नाम नारायण रख दिया और मरते हुए बेटे के नाम लेने पर उसे स्वयं नारायण यमदूतों से बचाने आए जाते हैं। इसी तरह मां शबरी ने भी सारी उम्र राम का नाम लिया और बुढ़ापे में उन्हें राम के दर्शन प्राप्त हुए। 


रामायण में एक और प्रसंग आता है जब संत सभा में काशी नरेश सुकंत नारद मुनि द्वारा समझाने पर ऋषि विश्वामित्र को प्रणाम नहीं करते हैं इससे कोर्धित हो वह राय जी को  सुकंत को मार देने का आदेश देते हैं। राम जी भी गुरु की आज्ञा मानकर सुकंत को मारने का प्रण लेते हैं। वहां सुकंत अपनी रक्षा के लिए माता अंजनी से अनुरोध करता है और मां अंजनी हनुमान जी से राजा की रक्षा का वचन लेती है। हनुमान राम जी को सुकंत को छोड़ने का अनुरोध करते हैं पर राम पहले से ही वचनबद्ध होने के कारण इंकार कर देते हैं कोई रास्ता न पाकर हनुमानजी सुकंत को जंगल  ले जाकर राम नाम का जप करने लगते हैं राम जप में हनुमान जी का दृढ़ विश्वास रहता है और वह सुकंत को राम नाम के धेरे में रख देते हैं और राम जी के सारे तीर अपने ही नाम को पार नहीं कर पाते यह सब देख लक्ष्मण कोर्धित हो हनुमान जी पर तीर चला देते हैं और राम जी मुर्छित हो जाते हैं बाद में राम जी हनुमान जी को स्नेह करते हैं तब हनुमान अपनी जगह सुकंत को रख देते हैं और राम जी से वह क्षमा प्राप्त कर लेता है। विश्वामित्र जी भी वहां आ जाते हैं और सुकंत उन्हें भी प्रणाम कर  क्षमा मांगता है। इस तरह सुकंत के प्राणों की रक्षा होती है। यह कहानी हमें राम से भी बड़े उनके नाम की महिमा का बखान करती है।


तुलसीदास जी ने राम नाम की महिमा का काफी महत्व बताया है यह दोहे राम नाम की महिमा का गुणगान करते हुए उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे कुछ इस प्रकार है 

एक भरोसो, एक बल, एक आस, विश्वास। स्वाति-सलिल रघुनाथ-जस, चातक तुलसीदास।   

कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा। 

राम-नाम-मनि-दीप धरु, जीह देहरी द्वार। ‘तुलसी’ भीतर बाहिरौ, जौ चाहसि उजियार॥ 

एक घड़ी आधी घड़ी ,आधी की पुनि आध , तुलसी चर्चा राम की ,हरे  कोटि अपराध।


यह बात तो स्पष्ट है की भगवान के नाम के कीर्तन मात्र से मनुष्य के सारे दुःख दूर हो जाते है और आप चाहे किसी भी धर्म या समभाव में अपनी आस्था रखते हो ईश्वर के नाम जप और इबादद की पैरवी सभी धर्म करते है ईश्वर को पाने या उस तक पहुंचने का सबसे सरल और उत्तम मार्ग ईश्वर का नाम लेना ही है चाहे आप उसे साकार रूप में माने या निरंकार निर्विकार रूप में उसकी स्तुति करे।


इस लेख में लेखक ईश्वर, भगवान या हरि के नाम के महत्व को समझाने की कोशिश कर रहे है और इस लेख का एक मात्र उद्द्श्य ईश्वर की महिमा का गुणगान करना है ।


डॉ जितेन्द्र पटैल।

 

Comments

  1. Sir, I was deeply moved by your blog. The way you shared these stories really highlights the power of God’s name. It’s truly amazing to think that taking his name can have such a profound impact.

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    1. Thanks for your kind words of appreciation for the blog I second your point that God name is all potent and. Powerful 🌟

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