पतंग और डोर
शिव खेड़ा जी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "जीत आपकी" की शुरुआत पिता पुत्र की कहानी से करतें है जिसमें पुत्र द्वारा कहने पर पिता आसमान में उंची ऊड़ रही पतंग की डोर काट देते हैं जिससे पतंग नीचे गिर जाती हैं। पुत्र को ऐसा लगता है कि डोर पतंग को आसमां में और ऊपर उड़ने नहीं दे रहीं हैं। हमारे जीवन में भी अनुशासन, बड़ों द्वारा दिए गए निर्देश, हमारे मुल्य एवं सिद्धांत उसी डोर का काम करतें हैं। कई बार हमें लगता हैं कि यह सारी चीजें हमें अपने काम में रुक रहीं हैं और अगर यह ना हो तो हम काफी आगे जा सकते हैं। परंतु जब हम दीर्घकालिक नतीजों को देखते हैं तब हम पाते हैं कि अनुशासन की इसी डोर से हम सफलता अर्जित कर पाएं। हमारे मूल्य एवं सिध्दांतो ने हमें नैतिक और पथभ्रष्ट होने से बचाया हैं। जब भी दूरगामी नतीजों की बात होती हैं तब हमें पाते हैं अनुशासन ने ही सफल बनाया जल्दी मिली सफलता ज्यादा लंबी नहीं चलती हैं। अनुशासित और सिध्दांतिक जीवन ही सफलता की कुंजी है। जितेन्द्र पटैल।