सर्वे भवन्तु सुखिनः
महान उद्यमी स्टीव जॉब्स ने अपनी स्टैंडफोर्ड विश्वविधालय के भाषण में कहा था कि उनके संघर्ष को दिनों में उन्हें हफ्ते भर के इंतज़ार के बाद इस्कॉन मंदिर में मिलने वाला प्रसाद एक अच्छे खाने के रूप में मिलता था। प्रख्यात शेफ (chef) राजीव खन्ना ने भी कुछ साल पहले दिए गए एक साक्षात्कार (Interview) में कहा था की उन्हें भूख का अंदाज अमेरिका में आकर हुआ, भारत में हर जगह चलने वाले लंगर और प्रसादी ने उन्हें कभी भूखा नहीं रहने दिया। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया के दर्शन को मानने वाली भारतीय संस्कृति में परोपकार की भावना को सर्वोपरि मना गया है। भारतीय अपने भोजन को हमेशा बाँट कर खाने पर विश्वास रखते है और हमारी संस्कृति में भोजन को पहले भगवान को अर्पित कर प्रसाद के रूप में जरूरमंदो में बाँटने का प्रचलन है और इस परम्परा को हर भारतीय पूरी आस्था से निभाता है। भारत में प्रचलित हर धर्म के पूजा स्थल पर गरीबों और भुखे को खाना की व्यवस्था रहती है। फिर चाहे वह हिन्दू मंदिरो में लगने वाले अन्नकुट या भंडारे हो या इस्कॉन द्वारा चलने वाला अक्षयपात्र सिख धर्म के अनुआइयों द्वारा विभिन्न गुरुद्वारों म