शोषक और शोषित
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन की प्रसिध्द कहानी अब्बू खां की बकरी बहुत ही प्रेरणादायक कहानी हैं और अपने आप में शोषक और शोषित के बीच के संबंध को दर्शाती हैं। कहानी की मुख्य पात्र चाँदनी नाम की बकरी हैं जो कि उस भेडियें से भीड़ जाती हैं जो अब्बू खां की बकरियों को खा जाता हैं। अंत में बकरी लड़ते हुए शहीद हो जाती हैं। तब सभी कहते हैं भेडियां जीता पर अब्बू खां कहते हैं कि बकरी जीती क्योंकि उसके बाद घायल भेडियां किसी भी बकरी पर हमला नहीं करता। कहानी से यह शिक्षा मिलती हैं कि जब तक हम हमारे शोषण पर आवाज नहीं उठाएगे तब तक हम शोषित ही रहेगें बहुत बार हम इसलिए चुप हो जाते हैं क्योंकि हमें लगता है कि शोषक हम से ज्यादा बलशाली हैं या तो अन्याय हम पर सीधे नहीं हुआ हैं और हम उससे बचकर निकलने में ही अपना भला मानते हैं। एक आम आदमी हमेशा अपने जीवन में उस नायक को ढूंढते रहते हैं जो हमारी हर समस्या का निदान कर दें हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि हम जब तक अन्याय का विरोध नहीं करगें तब तक हम पर अन्याय होता रहेंगा हो सकता है की हमारे संधर्ष से आने वाले लोगों का भला हो जाए जैसा की बताई ...