हमारे राम
एक बार माँ पार्वती शिवजी से ऐसी कथा सुनाने को कहती हैं जो हर दुख में संत्वना दें तब शिव उन्हें रामायण की कथा सुनाते हैं। इसी प्रकार युद्धिष्ठिर जब वनवास में निराश होकर खुद को दोषी मानते हैं तब भी साधुगण उन्हें राम की कथा सुनते हैं। रामायण हमें दुख और विचलित होने वाले क्षणों में धर्य और साहस देती हैं। जब भी किसी भी आदर्श चरित्र के सर्वोत्तम उदाहरण की बात करते हैं। तब राम की छवि साहसा ही आँखों के सामने आ जाती हैं। राम एक आदर्श पुत्र , पति, भाई एवं राजा थें। राम संयमी, साहासी, मर्यादा पुरुषोत्तम जैसे गुणों से परीपूर्ण थे। राम ने धर्म अधर्म, निति अनीति, न्याय अन्याय के बीच के अंतर से हमें भालिभांति परिचित कराया। एक श्रेष्ठ राजा के सारे गुण होते हुए भी अपने पिता के वचनों का मान रखने के लिए वनवास स्वीकार किया। उन्होंने सही स्थान पर ही अपने क्रोध का परिचय दिया। लक्ष्मण के क्रोध को भी नियंत्रित रखने में भी राम के गंभीर एवं सयंमी चरित्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।आदम्य साहस होने के बाद भी उन्होंने अपने शत्रु को भी संधि का भरपूर अवसर प्रदान किया तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री राम चरि...